नाश्ता मिले तो समझो परायापन। खाना मिले तो अपनों का अपनापन।। नाश्ता मिले तो समझो परायापन। खाना मिले तो अपनों का अपनापन।।
मानता हूँ मैं कि सांवला जरूर हूँ। मगर मन का मैं बिल्कुल शीशा हूँ। मानता हूँ मैं कि सांवला जरूर हूँ। मगर मन का मैं बिल्कुल शीशा हूँ।
दिल तोड़कर किसी का मुस्कराते हैं लोग...! दिल तोड़कर किसी का मुस्कराते हैं लोग...!
जिंदगी खुशियों की, मोहताज नहीं होती...! जिंदगी खुशियों की, मोहताज नहीं होती...!
उन पत्थरदिल लोगों का फिर भी दिल नहीं पिघला छोड़ कर उस राही को हर कोई बस चल पड़ा उन पत्थरदिल लोगों का फिर भी दिल नहीं पिघला छोड़ कर उस राही को हर कोई बस चल पड़ा
हिंदुस्तान ज़िन्दाबाद हिंदुस्तान ज़िन्दाबाद हिंदुस्तान ज़िन्दाबाद हिंदुस्तान ज़िन्दाबाद